Thursday, May 25, 2023

ब्लॉगिंग ने बदल दी जिंदगी, हर महीने कमाते हैं लाखों अक्षय रासकर

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गुड न्‍यूज टुडे में ब्‍लोगिंंग पर एक प्रेरक रिपोर्ट छपी है। जिसे साभार यहां दिया जा रहा है   

https://www.gnttv.com/business/story/maharashtra-blogger-akshay-raskar-earning-in-lacs-every-month-running-eight-blogging-channels-562958-2023-05-24

महाराष्ट्र के अक्षय रासकर आजकल के हर उस युवा के लिए एक उदाहरण हैं जो इंटरनेट को सिर्फ मनोरंजन या टाइमपास के लिए इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि उन्होंने इंटरनेट का सही उपयोग करके अपनी एक पहचान बनाई है.
इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बिल्कुल ही बदल दिया है. इंटरनेट आने से पहले तक लोगों की जिंदगी बहुत अलग थी और अब वैसी जिंदगी जीने के बारे में लोग सोच भी नहीं सकते हैं. यह सच है कि इंटरनेट के फायदे और नुकसान दोनों हैं लेकिन अगर इसका इस्तेमाल सही तरह से किया जाए तो यह आपकी किस्मत बदल सकता है. जैसा कि अक्षय रासकर के साथ हुआ.

महाराष्ट्र में बीड़ जिले के कोलगांव के रहने वाले अक्षय 10 साल पहले तक एक आम इंसान थे जो जैसे-तैसे अपने परिवार का पालन कर रहे थे. लेकिन अब उनकी तस्वीर एकदम बदल चुकी है. आज वह देश के फेमस ब्लॉगर हैं और हर महीने लाखों की कमाई कर रहे हैं.

एक वीडियो ने बदली जिंदगी   करीब 10 साल पहले अक्षय रासकर को एक ऐसा एसएमएस मिला जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. वह अपने छोटे से इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर में बैठे थे, जब उसका मोबाइल फोन बीप हुआ. उनके खाते में 222 डॉलर जमा किए गए थे. उस समय उन्हें लगा कि कोई गलत मैसेज है लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनके खाते में ये पैसे YouTube की तरफ से आए हैं.

दरअसल, यह पेमेंट YouTube से एक वीडियो के लिए था. इस वीडियो को उन्होंने पैसे आने से तीन साल पहले अपलोड किया था. दरअसल, अपने गांव से लगभग 300 किलोमीटर दूर, अक्षय ने 2009 में नासिक के एक गांव का दौरा किया था, जहां उन्होंने एक किसान को अपरंपरागत रूप से अपने खेत की जुताई करते हुए देखा था. किसान ने अपनी बाइक के पिछले हिस्से में हल लगा रखा था. उन्होंने इसका एक वीडियो बना लिया और 'द ग्रेट इंडियन जुगाड़' कैप्शन के साथ, उन्होंने इसे YouTube पर डाल दिया.

वह वीडियो के बारे में भूल गए लेकिन वीडियो वायरल हो गया. और इसके तीन साल बाद, साल 2012 में उन्हें अपने खाते में डॉलर मिले. इस घटना ने अक्षय को एक नई राह दी. वह पहली बार था जब उन्होंने इंटरनेट को आय के एक वैध स्रोत के रूप में सोचा.

ब्लॉगिंग को बनाया फुल-टाइम करियर   मराठवाड़ा के कृषि क्षेत्र में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे, अक्षय रासकर ने अपने माता-पिता को अक्सर कर्ज के तनाव से जूझते हुए देखा था. इसलिए वह खेती नहीं करना चाहते थे. उनका सपना अपना काम करने का था ताकि वह कुछ अच्छा कमा सकें. 20 साल की उम्र में, उन्होंने अपने गांव में एक मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली, हालांकि यह नहीं चली. और उसी दौरान 222 डॉलर उनके खाते में जमा हो गए थे.

उन्होंने सोचा कि इंटरनेट से पैसा कैसे कमाया जाए. हालांकि, उस समय यूट्यूब का सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि अक्षय कैमरा के सामने बहुत शर्मीले थे और स्मार्टफोन में उस समय बहत अच्छा कैमरा नहीं होता था. उन्होंने पता लगाया कि क्या कोई टेक्स्ट-आधारित माध्यम है जो उनकी आजीविका हो सकता है और तब उन्हें ब्लॉगिंग के बारे में पता चला. उन्होंने इसे समझने के लिए YouTube पर दर्जनों वीडियो देखे कि यह कैसे काम करता है. उन्होंने अपनी शॉप के साथ-साथ ब्लॉग शुरू किया और तीन महिने में 112 डॉलर कमाए.

आठ ब्लॉग चलाते हैं अक्षय रासकर  अक्षय आठ ब्लॉग चलाते हैं—सभी मराठी में. लोकप्रिय समाचारों में 'कृषि समाचार' और 'सरकारी समाचार' हैं. साथ ही, वह 30 युवाओं की एक टीम को रोजगार दे रहे हैं, और लगभग $50,000, या ₹40 लाख से ज्यादा की कमाई प्रतिमाह कर रहे हैं. इससे वह अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन देते हैं. इन लोगों को ब्लॉगिंग करना उन्होंने ही सिखाया है. उन्होंने अपने गांव में कई अन्य लोगों को प्रेरित किया है- कोलगांव में आज सैकड़ों ब्लॉगर हैं जिनकी पोस्ट अब पूरे महाराष्ट्र में पढ़ी जाती हैं. वे कई विषयों पर लिखते हैं. किसानों के मुद्दों के साथ-साथ लोग श्रम, खेल, ऋण और सिविल सेवा परीक्षा जैसे प्रवेश परीक्षाओं पर ब्लॉग करते हैं.

हालांकि, उनका सफर आसान नहीं था. इसके लिए दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और अटूट विश्वास की आवश्यकता थी. लोग अक्सर उनका मज़ाक उड़ाते थे. ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम लोग इसके बारे में जानते थे. उन्हें लगा ही नहीं कोई इंटरनेट से पैसे कमा सकता है. लेकिन अक्षय ने काम पर फोकस किया. उन्होंने अपने चारों ओर किसानों को देखा- जिससे उन्हें एहसास हुआ कि उनका ब्लॉग किसानों की जरूरतों के हिसाब से होना चाहिए. कई किसानों ने अक्सर सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं होने की शिकायत की.

इसलिए, अक्षय ने जटिल भाषा में लिखे गए सरकारी आदेशों को सरल बनाना शुरू किया और उसे अपने ब्लॉग पर अपलोड किया. उनके ब्लॉग ने साल 2015 के बाद उड़ान भरी.

डिजिटल इंडिया ने दी उड़ान   2015 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया लॉन्च किया, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां भारत की 70% आबादी रहती है, ऑनलाइन बुनियादी ढांचे और इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार के लिए एक अभियान चलाया. उस समय भारत की इंटरनेट पहुंच 15% थी. आठ साल बाद, यह तेजी से बढ़कर 47% हो गई है.

कोलगांव में भी ज्यादातर लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप और फेसबुक डाउनलोड किया, जिससे अक्षय के लिए अपने ब्लॉग को प्रसारित करना आसान हो गया. किसानों को उनका ब्लॉग बेहद मददगार लगने लगा. ब्लॉग को जितना अधिक ट्रैफ़िक मिलता है, Google उनके लिए उतने ही अधिक विज्ञापन भेजता है और इस तरह वह पैसे कमाते हैं.

रास्कर की उद्यमशीलता ने गांव का चेहरा बदल दिया है। यह एक 'ब्लॉगर्स विलेज' के रूप में उभरा है. जिन सैकड़ों ब्लॉगर्स को उन्होंने प्रेरित किया, वे अब अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. वे प्रति माह कम से कम 50,000 कमाते हैं. अक्षय रासकर की कहानी देश के हर युवा के लिए प्रेरणा है कि कैसे उन्होंने खुद अपनी जिंदगी बदल दी.

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इस पोस्‍ट के प्रेषक / लेखक : रौशन जसवाल विक्षिप्त
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